इस साल 15 अगस्त को आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं. इसे ऐतिहासिक बनाने के उपलक्ष में देश भर में पिछले एक साल से ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाया जा रहा है. वहीं इस बार 15 अगस्त के लिए सरकार ने ‘हर घर तिरंगा’ अभियान शुरू किया है जो अपने आप में बेहद खास पहल है. आजादी का अमृत महोत्सव के तहत सभी प्रयासों की देखरेख करने वाले गृह मंत्री ने राष्ट्रीय ध्वज को और सम्मानित करने के लिए ‘हर घर तिरंगा’ के कार्यक्रम को मंजूरी दी है. इस संबंध में गृह मंत्री की अध्यक्षता में ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को सफल बनाने के लिए बीते दिनों सभी राज्यपालों, उप-राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों के साथ अहम बैठक भी की गई थी.
पीएम मोदी ने लोगों से ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को मजबूती देने का आग्रह किया है. इसके साथ ही पीएम मोदी ने उस गुजरे वक्त को भी याद किया जब आजाद भारत के लिए झंडे का सपना देखने वालों द्वारा इसके लिए साहस और प्रयास किया गया था. उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए इतिहास की कुछ ऐसी दिलचस्प बातें ट्वीट के रूप में साझा की हैं जिनमें हमारे तिरंगे से जुड़ी समिति का विवरण शामिल हैं और पंडित नेहरू द्वारा फहराया गए पहले तिरंगे से जुड़ी जानकारी निहित है. पीएम मोदी ने बताया है कि 22 जुलाई की हमारे इतिहास में विशेष प्रासंगिकता है क्योंकि 1947 में आज ही के दिन हमारे राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया गया था.
हर घर तिरंगा अभियान को बनाएं मजबूत
पीएम मोदी ने शुक्रवार को ट्वीट में कहा है कि आज 22 जुलाई है और इस दिन का हमारे इतिहास में खास महत्व है. इसी दिन 1947 को हमने राष्ट्रीय ध्वज के रूप में तिरंगे को अंगीकार किया. उन्होंने आगे लिखा है, ‘मैं तिरंगे से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां आपके सामने ला रहा हूं. खासकर उस कमेटी के बारे में जो राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण से जुड़ी रही. इसी तिरंगे को पंडित नेहरू ने पहली बार फहराया.’
पीएम मोदी ने अपने एक अन्य ट्वीट में यह भी कहा है कि आज हमें उन लोगों को याद करने की जरूरत है जिन्होंने देश की आजादी के लिए एक राष्ट्रीय ध्वज का सपना देखा. हम उनकी सोच एवं सपने के अनुसार भारत का निर्माण करने के अपने इरादे को दोहराते हैं.
क्या है ‘हर घर तिरंगा’ अभियान ?
आजादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में ”हर घर तिरंगा” अभियान लोगों को तिरंगा लाने के लिए प्रोत्साहित करने वाला एक अभियान है. भारत की स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष को चिह्नित करने के लिए यह अभियान शुरू किया गया है. राष्ट्रध्वज से हमारा रिश्ता हमेशा से अटूट रहा है. व्यक्तिगत स्तर से लेकर औपचारिक और संस्थागत स्तर तक स्वतंत्रता के 75वें वर्ष को चिह्नित करने की कड़ी में एक राष्ट्र के रूप में सामूहिक रूप से राष्ट्र ध्वज को घर लाना तिरंगे से न केवल व्यक्तिगत संबंध का एक कार्य का प्रतीक बन जाता है, बल्कि हमारी प्रतिबद्धता का भी प्रतीक बनता है.
क्या है इस अभियान का उद्देश्य ?
उल्लेखनीय है कि राष्ट्र ध्वज के साथ हमारा संबंध हमेशा व्यक्तिगत से अधिक औपचारिक और संस्थागत रहा है. देश की आजादी के 75 वें वर्ष में एक राष्ट्र के रूप में ध्वज को सामूहिक रूप से घर लाना इस प्रकार न केवल तिरंगे से व्यक्तिगत संबंध का प्रतीक बन जाता है, बल्कि राष्ट्र-निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक भी बन जाता है. इस पहल के पीछे का विचार राष्ट्र भावना का आह्वान करना है. लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना जगाएं और अपने राष्ट्रीय ध्वज के बारे में जागरूकता को बढ़ावा दें.