सोमवार को विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने अपना नामांकन दाखिल किया. इस दौरान उनके साथ विपक्षी एकजुटता देखने को मिली. यशवंत सिन्हा के नामांकन के दौरान NCP चीफ शरद पवार, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला समेत कई विपक्ष के नेता मौजूद रहे.
18 जुलाई को होगा चुनाव
गौरतलब है कि वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है. 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है. मतगणना 21 जुलाई को होगी. बता दें विपक्षी दलों ने मिलकर यशवंत सिन्हा को साझा उम्मीदवार घोषित किया था. वहीं, इससे पहले बीते शुक्रवार को NDA की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मु ने नामांकन दाखिल किया था. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई नेता मौजूद थे.
यशवंत सिन्हा का शुरुआती सफर
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली NDA सरकार में पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार नामित किया गया है. यशवंत सिन्हा का जन्म 6 नवम्बर, 1937 को पटना में हुआ था. यशवंत सिन्हा ने पटना विश्वविद्यालय में ही छात्रों को पढ़ाया. वर्ष 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए और अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए सेवा में 24 से अधिक वर्ष बिताए. इस दौरान उन्होंने चार वर्षों तक सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट के रूप में भी सेवा दी. यशवंत सिन्हा ने 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दिया.
यशवंत सिन्हा का राजनीतिक सफर
यशवंत सिन्हा जनता पार्टी के सदस्य के रूप में सक्रिय राजनीति से जुड़ गए और वर्ष 1988 में उन्हें राज्य सभा का सदस्य चुना गया. 1990-91 में वे चंद्रशेखर सरकार में वित्त मंत्री रहे. मार्च 1998 में अटल सरकार में उनको वित्त मंत्री और विदेश मंत्री नियुक्त किया गया. 22 मई 2004 तक संसदीय चुनावों के बाद नई सरकार के गठन तक वे विदेश मंत्री रहे. करीब तीन दशक तक भाजपा से जुड़े रहने के बाद 2018 में बीजेपी पार्टी छोड़ दी. पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा मार्च 2021 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए. हालांकि राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने से पहले सिन्हा ने तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था.