राष्ट्रपति पद के चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की उम्मीदवार झारखंड की पूर्व राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को नामांकन पत्र दाखिल किया. नामांकन के लिए पीएम मोदी ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा, जिसका रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने समर्थन किया. प्रस्तावकों के दूसरे समूह में बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री रहे, तीसरे प्रस्तावक हिमाचल और हरियाणा के विधायक और सांसद थे और चौथे सेट में गुजरात के विधायक और सांसद थे.
पीएम मोदी समेत ये बने प्रस्तावक
वहीं राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के नामांकन के समय पीएम मोदी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा, केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नामांकन दाखिल करने के दौरान संसद में मौजूद थे.
विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा से होगा सामना
18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का सामना विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा से होगा. निर्वाचित होने पर वह भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति और देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी. द्रौपदी मुर्मू ओडिशा से किसी प्रमुख राजनीतिक दल या गठबंधन की पहली राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं.
द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक सफर
उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत रायरंगपुर एनएसी के उपाध्यक्ष के रूप में की थी. द्रौपदी मुर्मू 2000 और 2004 के बीच रायरंगपुर से ओडिशा विधानसभा की सदस्य थीं. एक मंत्री के रूप में, उन्होंने परिवहन और वाणिज्य, पशुपालन और मत्स्य पालन विभागों का कार्यभार संभाला. उन्होंने 2004 से 2009 तक ओडिशा विधानसभा में फिर से विधायक के रूप में कार्य किया. 2007 में, ओडिशा विधानसभा ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए ‘नीलकंठ पुरस्कार’ से सम्मानित किया. इससे पहले उन्होंने 1979 और 1983 के बीच सिंचाई और बिजली विभाग में एक कनिष्ठ सहायक के रूप में कार्य किया. उन्होंने बीजेपी में कई संगठनात्मक पदों पर कार्य किया है और 1997 में राज्य एसटी मोर्चा की उपाध्यक्ष थीं.
द्रौपदी मुर्मू 2013 से 2015 तक बीजेपी के एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य थीं और उन्होंने 2010 और 2013 में मयूरभंज (पश्चिम) के बीजेपी जिला प्रमुख के रूप में कार्य किया. 2006 और 2009 के बीच, वह ओडिशा में भाजपा के एसटी मोर्चा की प्रमुख थीं। वह 2002 से 2009 तक भाजपा एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य रहीं.