प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वाराणसी में शिक्षा मंत्रालय-भारत सरकार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया. इस मौका पर पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित भी किया. उन्होंने कहा, ”राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मूल आधार, शिक्षा को संकुचित सोच के दायरों से बाहर निकालना और उसे 21वीं सदी के आधुनिक विचारों से जोड़ना है.”
पीएम मोदी का आगमन हर बार काशी को एक नया फ्लेवर और एक नया कलेवर देता है. इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला. दरअसल, पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम से पहले वाराणसी के अर्दली बाजार में स्थित एलटी कॉलेज में अक्षय पात्र मध्याह्न भोजन रसोई का निरीक्षण कर अक्षय पात्र के मेगा किचन को समाज के लिए लोकार्पित किया जिसके संबंध में उन्होंने शिक्षा समागम में दिए अपने संबोधन में जिक्र किया.
पीएम ने बच्चों से की मुलाकात
पीएम मोदी ने बताया कि निरीक्षण के दौरान उन्हें काशी के स्कूल के 10-12 साल की उम्र के बच्चों के साथ गप्पे-गोष्ठी करने का अवसर मिला. उन बच्चों में जो प्रतिभा, टैलेंट और कॉन्फिडेंस देखने को मिला पीएम मोदी उनसे काफी प्रभावित हुए. इस पर पीएम मोदी ने कहा कि मैं उन बच्चों के शिक्षकों से जरूर मिलना चाहूंगा. पीएम ने कहा कि वे बच्चे सरकारी स्कूल के बच्चे थे और काफी प्रतिभावानी बच्चे थे.
गौरतलब हो, तीन एकड़ में 13.91 करोड़ की धनराशि से तैयार इस अक्षय पात्र किचन की क्षमता एक लाख बच्चों तक खाना पहुंचाने की है, लेकिन शुरुआत में 27,000 बच्चों को मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराया जाएगा. अगस्त माह में इसकी क्षमता बढ़ाकर 1 लाख 25 हजार और अगले 6 महीने में 2 लाख बच्चों का मिड डे मिल बन सकेगा.
हम केवल डिग्री धारक युवा तैयार न करें
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम केवल डिग्री धारक युवा तैयार न करें, बल्कि देश को आगे बढ़ने के लिए जितने भी मानव संसाधनों की जरूरत हो, हमारी शिक्षा व्यवस्था वो देश को दे. इस संकल्प का नेतृत्व हमारे शिक्षकों और शिक्षण संस्थानों को करना है.
काशी से निकलने वाला अमृत अवश्य देश को देगा नई दिशा
पीएम मोदी आगे कहते है कि हमारे यहां उपनिषदों में भी कहा गया है विद्ययामृतमश्नुते, अर्थात् विद्या ही अमृत्व और अमृत तक ले जाती है. काशी को भी मोक्ष की नगरी इसलिए कहते हैं क्योंकि हमारे यहां मुक्ति का एकमात्र मार्ग ज्ञान को विद्या को ही माना गया है और इसलिए शिक्षा और शोध का, विद्या और बोध का इतना बड़ा मंथन जब सर्वविद्या के प्रमुख केंद्र काशी में होगा तो इससे निकलने वाला अमृत अवश्य देश को नई दिशा देगा.