केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि देश में सैटेलाइट आधारित वाहन की नंबर प्लेट के माध्यम से टोल वसूली की संभावनाएं हैं. इससे कोई व्यक्ति न टोल की चोरी कर सकता है और न ही कोई इससे बच सकता है.
उन्होंने यह भी कहा कि देश में उपग्रह आधारित वाहन के नंबर प्लेट के माध्यम से टोल वसूली की प्रक्रिया शुरू किये जाने की तैयारी हो रही है और वर्ष 2024 से पहले देश में 26 ग्रीन एक्सप्रेस हाईवे शुरू कर दिए जाएंगे, जिससे सड़क के मामले में भारत अमेरिका से पीछे नहीं रहेगा.
हम दो विकल्पों पर काम कर रहे हैं- नितिन गडकरी
नितिन गडकरी ने कहा कि, अभी टोल कलेक्ट करने के लिए हमारे पास एक सिस्टम मौजूद है, लेकिन हम दो विकल्पों पर काम कर रहे हैं. पहला है सैटलाइट आधारित टोल-सिस्टम जिसमें कार में जीपीएस लगा होगा और जिससे खुद ही टोल कट जाएगा. दूसरा सिस्टम है- नंबर प्लेट में बदलाव करना. 2019 से ही हमने नए तरीके की नंबर प्लेट बनाने की तकनीक पर काम करना शुरू कर दिया है. अब मैन्युफैक्चरर के लिए यह नंबर-प्लेट लगाना अनिवार्य होगा. पुरानी नंबर-प्लेट्स को नई नंबर प्लेट्स से बदला जाएगा. नई नंबर-प्लेट से एक सॉफ्टवेयर जुड़ा होगा, जिससे टोल कट जाया करेगा.
टोल न देने वालों के लिए सजा का प्रावधान
राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री गडकरी ने बताया कि अब तक टोल न देने पर सजा का प्रावधान नहीं है. इसको ध्यान में रखकर इस नई तकनीक को लागू करने के लिए संसद में एक विधेयक लाने की प्रक्रिया चल रही है. उन्होंने कहा कि, विधेयक बनने के 6 महीने के भीतर देश में यह व्यवस्था लागू करने की पूरी कोशिश की जाएगी. जिससे न टोल बनाने की जरूरत होगी और न ही कोई व्यक्ति टोल देने से बच पाएगा. उन्होंने कहा कि टोल देने से बचने की कोशिश करने वालों के लिए सजा का प्रावधान किया जाएगा.
26 ग्रीन एक्सप्रेस हाईवे बनाने का काम जारी
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आगे कहा कि वाहन निर्माता कंपनियों से वाहन में जीपीआरएस सुविधा देने के लिए कहा गया है ताकि, इससे टोल वसूली में आसानी होगी और लोगों को भी राहत मिलेगी. उन्होंने यह भी बताया कि देश में अभी 26 ग्रीन एक्सप्रेस हाई-वे बनाने का काम तेजी से चल रहा है. वर्ष 2024 तक देश में ये 26 ग्रीन एक्सप्रेस हाईवे शुरू होने के बाद सड़क के मामले में भारत अमेरिका से पीछे नहीं रहेगा.
नितिन गडकरी ने कहा कि, इस समय नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत है. मैं सदन में ऑन-रिकॉर्ड यह बात कह रहा हूं कि मैं हर साल 5 लाख करोड़ रुपए की सड़क बना सकता हूं. हमारे पास पैसे की कमी नहीं है. उन्होंने कहा कि एनएचएआई को एएए रेटिंग मिली हुई है. हाल ही में दो बैंकों के चेयरमैन मेरे पास आए और उन दोनों ने मुझे 25-25 हजार करोड़ रुपए लोन देने का प्रस्ताव रखा। मुझे सिर्फ 6.45 प्रतिशत की ब्याज दर पर यह पैसा मिला है. इसलिए एनएचएआई के पास सड़कें बनवाने के लिए भरपूर पैसा है.
क्या है ‘एनएचएआई’
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया भारत सरकार की एक स्वायत्त संस्था है. इसे 1955 में स्थापित किया गया था. यह देश के 1,32,499 किमी लंबे नेशनल हाईवे में से 50 हजार किमी के नेटवर्क के मैनेजमेंट का काम देखती है. एनएचएआई का काम है अम्ब्रेला हाईवे योजना, भारतमाला योजना के लिए फंड देना. इसका उद्देश्य एनएच लिंकेज वाले जिलों की संख्या को 3 सौ से बढ़ाकर 550 करना है. इसके अलावा सड़क के किनारे रेस्टरूम, फूड प्लाजा और मेडिकल सुविधाओं की व्यवस्था करना और पौधरोपण करना भी इसी संस्था की जिम्मेदारी है.