केंद्र सरकार की तरफ से सेना भर्ती के लिए शुरू की गई ‘अग्निपथ योजना’ का बिहार समेत कई अन्य राज्यों में व्यापक विरोध शुरू हो गया है. बड़ी संख्या में युवा इस योजना के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं. बिहार के कई शहरों में पिछले दो दिनों से खूब बवाल हो रहा है. कई जगहों ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया गया. इसका बड़ा कारण कोरोना के चलते पिछले कुछ सालों से सेना में भर्तियों का ना निकला और अब सरकार द्वारा सेना भर्ती के लिए अग्निपथ योजना को लागू करना है.
क्या है अग्निपथ योजना:-
अग्निपथ योजना भविष्य के सैनिकों के लिए कई तरह के मौके उपलब्ध कराएगी. अग्निवीरों की नौकरी 4 साल की रहेगी जिसमें उनका वेतन 30,000 से 40,000 के बीच में रहेगा. वहीं बीमा चार साल के बाद भी होगा जो 48 लाख रुपए का होगा. अग्निपथ योजना के तहत भर्ती में जो तमाम कदम उठाए जाएंगे उनमें भर्ती मौजूदा और फिजिकल नियमों के तहत होगी. अग्निपथ योजना के तहत अग्निवीर बनने के लिए साढ़े सत्रह साल से 23 साल के तक युवा आवेदन कर सकेंगे. साथ ही 10वीं या 12वीं पास तक की योग्यता अनिवार्य होगी. अग्निवीर तीनों सेनाओं के स्थाई सैनिकों की तरह अवॉर्ड, मेडल और इंश्योरेंस कवर पाएंगे.
चार साल पूरे होने के बाद युवाओं को 11.7 लाख रुपए की सेवा निधि भी दी जाएगी. जिस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. 4 साल बाद केंद्र सरकार की अन्य भर्तियों में इन युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी. केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना के तहत 10वीं पास ‘अग्निवीर’ नौकरी के दौरान राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) से 12वीं कक्षा का प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकेंगे. यह प्रमाण-पत्र पूरे देश में नौकरी और उच्च शिक्षा के लिए मान्य होगा.
छात्र क्यों कर रहे हैं प्रदर्शन:-
प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि, सेना में जाने के लिए हम जी-जान लगा देते हैं. ट्रेनिंग और छुट्टियों को मिला दें तो कोई सर्विस सिर्फ़ चार साल की कैसे हो सकती है? सिर्फ़ तीन साल की ट्रेनिंग लेकर हम देश की रक्षा कैसे करेंगे? सरकार को यह योजना वापस लेनी ही पड़ेगी? अग्निपथ योजना में युवाओं की सबसे बड़ी समस्या यही है कि चार साल के बाद 75 पर्सेंट युवाओं को बाहर का रास्ता देखना ही पड़ेगा. प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है, ‘सिर्फ़ चार साल नौकरी करने के बाद हम कहां जाएंगे. चार साल की सर्विस के बाद तो हम बेघर हो जाएंगे. प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग है कि इस योजना को तुरंत वापस लिया जाए.