उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में बीते 3 जून 2022 को नूपुर शर्मा के कथित बयान के विरोध में जुमे की नमाज के बाद मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा हिंसा की गई थी. अब अचानक से कानपुर शहर के मुस्लिम संगठनों ने इस साल मुहर्रम के दौरान पाइकी जुलूस नहीं निकालने का फैसला किया है, क्योंकि उन्हें जुलूस के दौरान माहौल बिगड़ने का डर है. कहा जा रहा है कि मुस्लिम सगंठन शहर में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर ‘चिंतित’ हैं.
आपको बता दें कि, कोरोना के चलते पिछले दो सालों को छोड़कर पिछले 225 सालों से लगातार ये जुलूस निर्बाध रूप से निकाले जाते रहे हैं. इस साल से इसके एक बार फिर से शुरू होने की संभावना थी, लेकिन अब एक बार फिर से इस पर रोक लग गई है. बता दें कि पाइकी जुलूस शहर में मुहर्रम के बड़े जुलूसों में से एक माना जाता है.
बता दें, पाइकी वे लोग हैं, जो कि काले ‘कुर्ता-पायजामा’ पहने हुए रहते हैं. इनकी पीठ और कंधों पर रस्सियों के साथ घंटियाँ बंधी होती हैं. ये मुहर्रम के जुलूस के साथ इमामबाड़ा, कर्बला और इमाम चौक पर जाते हैं, ‘हाँ हुसैन, या हुसैन’ का नारा लगाते हुए।
तंज़ीम निशान-ए-पाइक कासीद-ए-हुसैन के खलीफा शकील और तंज़ीम-अल-पाइक कासिद-ए-हुसैन के लोग अच्छे मुस्लिमों से चंदा लेकर हर साल जुलूस निकालते रहे हैं. खबरों के मुताबिक, इस बार के जुलूस को लेकर जुलूस के वर्तमान प्रभारी कफील कुरैशी ने कहा कि इस साल मुहर्रम के मौके पर पाइकी जुलूस नहीं निकाला जाएगा. उन्होंने कहा, “शहर के माहौल को ध्यान में रखते हुए इस साल पाइकी जुलूस नहीं निकालने का फैसला किया गया है. हमने लोगों से इस मोहर्रम में अपने घरों में नमाज अदा करने और शहर में अमन बनाए रखने में मदद करने की अपील की है.”