खतरे की धारणा, सुरक्षा और परिचालन चुनौतियों के पूरे स्पेक्ट्रम और दुनिया भर में हो रहे तेज तकनीकी परिवर्तनों के आधार पर, भारत सशस्त्र बलों को तैयार रखने के लिए अपनी रक्षा क्षमताओं को तेजी से धार देने में लगा हुआ है यानि उनका आधुनिकीकरण कर रहा है. इसका अर्थ है भविष्य के लिए तैयारी करना, आत्मनिर्भरता बढ़ाना और अधिकतम दक्षता के लिए संसाधनों को अनुकूलन करना.
देश की रक्षा के लिए उठाए महत्वपूर्ण कदम
इसके लिए हाल के वर्षों में, भारत ने रक्षा योजना समिति बनाने, रक्षा मंत्रालय के साथ अधिक तालमेल लाने के लिए सीडीएस की नियुक्ति, उभरती या भविष्य की सुरक्षा स्थितियों को ध्यान में रखते हुए दीर्घकालिक आधुनिकीकरण योजना, सेना डिजाइन ब्यूरो, सेना के पुनर्गठन जैसे कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं.
बजट में की वृद्धि
‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत देश में रक्षा उपकरणों के स्वदेशी डिजाइन, विकास और निर्माण को जोर-शोर से प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे रक्षा उपकरणों का आयात कम हो रहा है. वित्त वर्ष 2022-23 के लिए रक्षा बजट 5,25,166 करोड़ रुपए है, जो पिछले साल के 4,78,196 करोड़ रुपए से 46,970 करोड़ रुपए या 9.82% अधिक है.
रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25% निजी उद्योगों, स्टार्टअप्स और शिक्षाविदों के लिए निर्धारित किया गया है. निजी उद्योग को विशेष प्रयोजन वाहन मॉडल के माध्यम से डीआरडीओ और अन्य संगठनों के सहयोग से सैन्य प्लेटफार्मों और उपकरणों के डिजाइन और विकास के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. व्यापार करने में आसानी स्वदेशी रक्षा उत्पादन में भी मदद कर रही है.
इसके अलावा, डीपीएसयू द्वारा आयात को कम करने के लिए, रक्षा उत्पादन विभाग ने चीजों की एक सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची भी अधिसूचित की है. सूची में 25,00 आइटम शामिल हैं, जो पहले से ही स्वदेशी हैं और 351 आइटम, जिन्हें दिसंबर, 2024 तक आने वाले तीन वर्षों में स्वदेशी बनाने की योजना है, जिनमें से 172 आइटम दिसंबर, 2022 तक स्वदेशी होने की उम्मीद है.