वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सोमवार को वाराणसी की जिला अदालत में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान 45 मिनट तक बहस हुई। आज मुस्लिम पक्ष की ओर से 1991 प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट का हवाला देते हुए हिन्दू पक्ष के मुकदमे को खारिज करने की मांग की गई। जिस पर हिंदू पक्ष की ओर से भी दलील पेश की गई। दोनों तरफ की दलीलें सुनकर जिला अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत कल यानी मंगलवार को 2 बजे अपना फैसला सुनाएगा।
सोमवार को वाराणसी जिला अदालत में सुनवाई के लिए हिंदू पक्ष की तरफ से सीनियर वकील मदन बहादुर सिंह पेश हुए। उनके साथ एडवोकेट हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन थे। वहीं मुस्लिम पक्ष की तरफ से एडवोकेट रईस अहमद और सी अभय यादव पेश हुए।
अदालत में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ अभय नाथ यादव ने दीन मोहम्मद के 1936 के केस का हवाला देते हुए कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में लंबे समय से नमाज पढ़ी जा रही है इसलिए वह मस्जिद है और उच्च न्यायालय ने भी मुस्लिम पक्ष में फैसला दिया था। जिसके जवाब में हिन्दू पक्ष ने कहा कि भले ही यहां नमाज होती रही है, लेकिन स्थान का मूल करैक्टर मंदिर का ही है। लगभग 45 मिनट की बहस के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। मंगलवार को अदालत की ओर से बताया जाएगा कि इस मामले की सुनवाई की क्या प्रक्रिया होगी।
सोमवार को हुई सुनवाई में पूर्व कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को शामिल नहीं किया गया। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की तरफ से 23 लोग कोर्ट में मौजूद रहे। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सोमवार को जिला जज की अदालत में मामले की सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट ने पूरे मामले को 8 हफ्ते में निपटाने का आदेश भी दिया है।
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में दोनों पक्षों की क्या है मांगें
हिंदू पक्ष
- शिवलिंग की लंबाई, चौड़ाई जानने लिए सर्वे की मांग
- वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की पूजा की मांग
- श्रृंगार गौरी की रोजाना पूजा की मांग
- नंदी के उत्तर में मौजूद दीवार को तोड़कर मलबा हटाने की मांग
- वजूखाने का वैकल्पिक इंतजाम करने की मांग
मुस्लिम पक्ष
- वजूखाने को सिल करने का विरोध
- 1991 एक्ट के तहत ज्ञानवापी सर्वे और केस पर सवाल