बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए इस साल पवित्र गुफा 43 दिनों तक खोली जाएगी. जिसकी शुरुआत 30 जून से हो रही है. 43 दिनों की अवधि में कयास लगाए जा रहे हैं कि लाखों श्रद्धालु बड़ी आसानी से दर्शन कर पाएंगे. जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इस साल श्रद्धालुओं के लिए खास इंतजाम किए हैं.
स्वास्थ्य सुविधाएं
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बताया कि श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन द्वारा जगह-जगह पर 150 से अधिक मेडिकल सेंटर बनाए गए हैं जहां मेडिकल सुविधाओं की व्यवस्था की गई है. इससे श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न हो और आपातकालीन चुनौतियों से निपटा जा सके. ऑक्सीजन की कमी न हो इसलिए प्रशासन ने व्यापक स्तर पर ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की है.
ये दस्तावेज ले जाना न भूलें
सरकार के द्वारा इस साल अमरनाथ यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं पर ड्रोन से निगरानी रखी जाएगी. सुरक्षा के लिहाज से भी ड्रोन से निगरानी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे सुरक्षाकर्मियों को बेहतर फुटेज मिल पाते हैं. यात्रियों के लिए प्रशासन ने यह भी आदेश जारी किया है कि यात्री, यात्रा के दौरान कोई भी आईडेंटिटी कार्ड जिनमें आधार, पासपोर्ट, पैन कार्ड में से कोई भी दस्तावेज साथ जरूर लाएं जिससे उन्हें कोई दिक्कत ना हो.
रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) टैग
इस साल खास तौर पर श्रद्धालुओं के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) जारी किया गया है जिससे सभी श्रद्धालुओं की पहचान सुनिश्चित की जा सकेगी. अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने कहा है कि इस बार किसी भी तीर्थ यात्री और यात्रा में शामिल अन्य लोगों को बिना रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन टैग के यात्रा करने की अनुमति नहीं दी गई है. RFDI टैग यात्रियों की निगरानी के लिए बेहद उपयोगी है क्योंकि इससे प्रशासन को यह पता चल पाएगा कि कौन शख्स कहां पर है और इसके जरिए उन पर नजर भी रखी जाएगी.
इन दो रास्तों से श्रद्धालु पहुंचेंगे अमरनाथ गुफा
आपको बता दें कि इस बार अमरनाथ यात्रा के लिए 11 अप्रैल से ही लाखों तीर्थयात्रियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. अमरनाथ यात्रा दो मार्गों दक्षिण कश्मीर के पहलगाम की ओर से पारंपरिक नुनवान की और से की जाती है जिसकी दूरी 48 किलोमीटर है. वहीं मध्य कश्मीर के गांदरबल के बालटाल की ओर से श्रद्धालुओं को अमरनाथ पहुंचने के लिए 14 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है.