Monday, November 7, 2022
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    ‘बुलडोजर’ से कार्रवाई का हिंसा से कोई संबंध नहीं’- यूपी सरकार

    उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया है कि प्रशासन द्वारा घर गिराने का संबंध दंगे से नहीं है. वो कार्रवाई कानून के अनुसार की गई थी.

    सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ की अपराध के खिलाफ जिरो टॉलेरंस की नीति ने पहले ही अपराधियों की हालत खस्ता कर रखी है. और अब बुलडोजर के एक्शन से अपराधियों के होश उड़े हुए हैं. सूबे में बीते 10 जून को जुमे की नामज के बाद अलग-अलग जगहों पर हुई हिंसा में आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई. जिसमें हिंसा फैलाने वाले मुख्य साजिशकर्ता के खिलाफ कार्रवाई में बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया था. जिसके खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जिसका जवाब अब यूपी सरकार की तरफ से दिया गया है.

    दरअसल, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ एक याचिका दायर की थी. जिसमें बुलडोजर से घर गिराने के खिलाफ स्थानीय प्रशासन पर कार्रवाई और नुकसान की भरपाई की मांग की थी. वहीं, अब सरकार की तरफ से इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में जवाब दिया गया है. उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया है कि प्रशासन द्वारा घर गिराने का संबंध दंगे से नहीं है. वो कार्रवाई कानून के अनुसार की गई थी. सरकार द्वारा दावा किया गया कि कानपुर और प्रयागराज विकास प्रधिकरण ने उत्तर प्रदेश शहरी नियोजन एवं विकास अधिनियम, 1972 के अनुरूप कदम उठाए हैं.

    सरकार द्वारा कोर्ट को बताया गया है कि दंगे में आरोपियों के खिलाफ कानून की संबंधित धाराओं के तहत ही कार्रवाई की जा रही है. कानपुर में जिन लोगों के घर पर बुलडोजर से कार्रवाई हुई है, उनके मकान मालिकों ने यह माना है कि घर का निर्माण गैरकानूनी ढंग से किया गया था. वहीं, प्रयागराज मामले में सरकार ने कोर्ट को बताया कि प्रयागराज विकास प्राधिकरण को स्थानीय नागरिकों से कई शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जिसमें उन्होंने कहा था कि आवासीय क्षेत्र में स्थानीय कार्यकर्ता जावेद मोहम्मद द्वारा अनधिकृत कार्यालय बनाया गया है. साथ ही अवैध निर्माण और अतिक्रमण के भी आरोप लगाए गए थे.

    यूपी सरकार ने कोर्ट में यह साफ किया कि जावेद मोहम्मद के घर पर की गई कार्रवाई हिंसा के आरोपों से जुड़ी नहीं है. उन्हें 10 मई को नोटिस जारी किया गया था. 24 मई को उन्हें सुनवाई के लिए बुलाया गया था. जब जावेद की तरफ से सुनवाई के लिए कोई नहीं आया तब सभी कानूनी प्रक्रियाओं के बाद उनके घर को गिरा दिया गया.

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