केंद्र और राज्य सरकार की ओर से चलाई जा रही लगभग 167 लाभार्थी योजनाओं में बड़े पैमाने पर जालसाजी का खुलासा हुआ है. यूपी सरकार के आदेश पर विभिन्न लाभार्थी योजनाओं की स्क्रीनिंग में पता चला है कि पूर्ववर्ती सरकारों में जालसाज साठगांठ कर सरकार को करीब 8062 करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लगा रहे थे. यह रकम 79 लाख से ज्यादा ऐसे बैंक खातों में जा रही थी, जिनका कुछ अता-पता नहीं था. अब राज्य सरकार ने कार्रवाई करते हुए ऐसे सभी फर्जी खातों में रकम भेजने पर रोक लगा दी है.
बीते पांच साल से लगातार हो रही थी निगरानी
बता दें कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित 30 विभागों की लगभग 167 लाभार्थी योजनाएं चला रही है. इन विभागों में समाज कल्याण, खाद एवं रसद, शिक्षा, मत्स्य, चिकित्सा शिक्षा, श्रम, परिवार कल्याण , महिला कल्याण आदि शामिल हैं. योगी सरकार आने के बाद सीधे बैंक खातों में यानी डीबीटी के जरिये रकम देने का सिलसिला शुरू हुआ. राज्य सरकार के निर्देश पर बीते पांच सालों में लगातार सामूहिक केवाईसी, राशन कार्डों की जांच, पेंशन खातों के साथ छात्रवृत्ति की जांच के बाद बैंकों द्वारा दी जाने लगी. अब तक की जांच में पता चला है कि सिर्फ 11 विभागों की योजनाओं में ही पिछली सरकारों में 8062 करोड़ रुपये की गड़बड़ी हुई थी. जिसके बाद राज्य सरकार ने 79 लाख 8 हजार 682 लोगों के फर्जी खातों में योजनाओं की रकम भेजने पर रोक लगा दी. यह बीते पांच साल की लगातार निगरानी के चलते हुआ.
राशन कार्ड में हुआ सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा
सबसे ज्यादा राशि राशन कार्ड फर्जीवाड़े से हड़पी गई. यह रकम 55 लाख 51 हजार 434 फर्जी राशन कार्डों के जरिए राशन माफिया ने हासिल की थी. वहीं, जांच में कार्ड फर्जी पाए जाने पर राज्य सरकार ने इन राशन कार्डों को लगातार चली लंबी प्रक्रिया के बाद रद्द कर करीब 4259 करोड़ रुपये की बचत की. इसके साथ ही शिक्षा विभाग में पड़ताल में सामने आया कि 15 लाख 13611 बच्चों को फर्जी तरीके से मोजा-जूता, स्कूल बैग और ड्रेस दी जा रही थी. इसे रोक कर 166.49 करोड़ रुपये बचाए गए. इसके साथ ही बुजुर्गों के पेंशन खातों की जांच में सामने आया कि ऐसे लाखों मामले थे, जिनमें मृत्यु के बाद भी खातों में पैसा दिया जा रहा था. यही हाल निराश्रित महिला पेंशन में था. फर्जी छात्रवृत्ति भी संस्थान छात्रों की ज्यादा संख्या बताकर हासिल कर ले रहे थे.
केंद्र व राज्य सरकार ने प्रदेश के करीब 8.35 करोड़ लोगों को दी जाने वाली लाभकारी योजनाओं की स्क्रीनिंग शुरू की. इसके लिए सीएम योगी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में होने वाली मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठकों में डीबीटी पर जोर दिया और स्क्रीनिंग शुरू करवाई. शुरुआती दौर में तो करीब 44 लाख फर्जी राशन कार्ड का खुलासा हुआ था और धीरे-धीरे 11 विभागों में अब तक 8062 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े की रकम का पता चला.
जालसाजी रोकने से हुआ बड़ा लाभ
गौरतलब है कि इस जालसाजी का खुलासा होने के बाद से ही योगी सरकार ने प्रदेश में कल्याणकारी योजनाओं में दी जाने वाली रकम को लगातार बढ़ाया. वर्ष 2020 व 2021 में लगाता 10-10 हजार करोड़ रुपये की राशि बजट में बढ़ाई गई और अब करीब 41050 करोड़ रुपये राज्य सरकार सीधे बैंकों में दे रही है.
पिछले 3 वर्षों में दी गई राशि (करोड़ रुपये में)
वित्तीय वर्ष
2019-20 29884
2020-21 39215
2021-22 41050
इन योजनाओं में पकड़ा गया फर्जीवाड़ा
योजनाओं की जांच बचाए (करोड़ रुपये में)
55 लाख फर्जी राशन कार्ड खत्म 4259
फर्जी छात्रवृत्ति बंद 1694
1.31 लाख फर्जी छात्रवृत्ति बंद 169.44
15 लाख निशुल्क पोशाक 166
2.7 लाख फर्जी पेंशन खाते बंद 163
2.7 लाख फर्जी विधवा पेंशन खाते बंद 163
34 हजार फर्जी वृद्धावस्था पेंशन बंद 16.68
84176 हजार सामान्य वर्ग फर्जी छात्रवृत्ति 97.68
कुल लाभार्थी 8.35 करोड़
1.91 करोड़ बच्चों को यूनिफॉर्म
1.20 करोड़ पेंशनर्स
2.10 करोड़ स्कॉलरशिप
2.59 करोड़ किसानो को किसान सम्मान निधि
45 लाख गन्ना किसान
10 लाख कन्या सुमंगला योजना
सीएम योगी के निर्देश पर रोकी गईं गड़बड़ियां
अपर मुख्य सचिव, नवनीत सहगल ने जानकारी देते हुए बताया कि, भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर तकनीक का बेहतर इस्तेमाल कर सुशासन की कार्यपद्धति से गड़बड़ियां रोकी गईं. सही लाभार्थियों की संख्या बढ़ाई गईं. लीकेज को रोका गया और 8062 करोड़ रुपये की बचत की गई.