हमारे बारे में
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दि देश सरीखे किसी मंच को दरअसल ‘हम, भारत के लोग’ ही सांस देते हैं, सहारा बनते हैं. दि देश (thedesh.com) न्यूज़ वेबसाइट में हम, हर पहले कदम पर, ‘देश फर्स्ट-देश लास्ट’ सूत्र वाक्य के साथ आगे बढ़ते हैं.
दरअसल, पिछले कुछ सालों से यह बात निचले स्तर तक जा पहुंची है कि मीडिया ने लोकतन्त्र की पहरेदारी की अपनी जिम्मेदारियों से किनारा ले लिया है. मुमकिन है इसके पीछे कारोबारी जरूरते हों लेकिन इन जरूरतों/ मजबूरियों ने जनतंत्र की परिकल्पना को ही गहरा आघात दिया है. मठों और खेमों की पत्रकारिता ने इस पेशे और ठौर को ही सड़ांध में ढकेल दिया है.
दि देश (thedesh.com) उसी स्तंभ को, उसी गरिमा को, पूरे आन-बान-शान के साथ फिर से खड़ा करने की एक कोशिश है. इस अलाभकारी मिशन को दि देश (thedesh.com) पाठकों, चिंतित नागरिकों के सहयोग/ साथ से आगे बढ़ा रहा है.
हमारे सलाहकार मंडल में पत्रकारों और लब्ध संपादकों के साथ-साथ साहित्य मर्मज्ञों, इंजीनियर्स, डाक्टर्स, लोक प्रशासकों, शिक्षा विदों आदि के शामिल होने से हमें एकालाप से बच जाने में मदद मिलती है. हमारी सलाह टीम में अनुभव के साथ युवा विचार की मौजूदगी भी हमें नयी समझ को छू पाने का सलीका देती है.
यकीनन इस कोशिश को जिन्दा रखने के लिए हम आपकी तरफ भी निहार रहे हैं. अगर आपको हमारे आर्टिकिल्स पसन्द आते हैं तो हम आपसे आर्थिक मदद की गुजारिश करते हैं. यह जरूरी है कि द देश (thedesh.com) सरीखे मंच कार्पोरेट/ राजनीतिक दबाव से बचे रहें इसके लिए आपको आधा कदम बढ़ाना भी जरूरी है.