देश के इतिहास में 16 अक्टूबर को एक नया अध्याय जुड़ गया है. अब अंग्रेजी में होने वाली एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में होगी, और इसकी शुरुआत हुई है मध्य प्रदेश से. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को MBBS के पाठ्यक्रम की हिन्दी की किताबों को लॉन्च किया. वैसे तो दुनिया के कई ऐसे देश हैं, जो अपनी मातृभाषा में ही सभी काम करते हैं, फिर चाहे हो प्रशासनिक कार्य हो या पढ़ाई. भारत की मातृभाषा हिंदी है, ऐसे में मातृ भाषा के स्वर्ण युग के विस्तार की दिशा में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है.
चार महीने में तैयार हुई किताबें
चीन, रूस, जापान, यूक्रेन जैसे देशों की तरह अब भारत में भी मेडिकल की पढ़ाई मातृभाषा में होगी. देश में इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश से हो रही है. प्रदेश के 97 डॉक्टरों की टीम ने चार महीने में रात-दिन काम कर अंग्रेजी की किताबों का हिन्दी में अनुवाद किया है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह रविवार को भोपाल के लाल परेड ग्राउंड पर आयोजित भव्य समारोह में इन किताबों को लॉन्च किया.
इंजीनियरिंग के लिए आठ भाषाओं में पाठ्यक्रम तैयार
इस मौके पर गृह मंत्री ने भारत के शिक्षा क्षेत्र के लिए आज के दिन को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इतिहास के पन्नों में यह दिन सुनहरे अक्षरों में अंकित होगा. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए पीएम मोदी ने छात्रों की मातृभाषा पर ज्यादा जोर दिया है. उन्होंने कहा कि जो लोग मातृभाषा के समर्थक हैं,उनके लिए आज का दिन गौरव का दिन है. इस दौरान गृह मंत्री ने कहा कि देश में आठ भाषाओं में इंजीनियरिंग की शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं. शोध-अनुसंधान भी अपनी भाषा में करने की सुविधा देंगे.
हिंदी माध्यम से पढ़ने वालों की जिंदगी में नया सवेरा
इस ऐतिहासिक मौके पर मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हिन्दी को भी हमने कठिन नहीं बनाया. किडनी को किडनी ही लिखा जाएगा, यकृत नहीं लिखा जाएगा. उन्होंने इससे पहले कहा कि मध्य प्रदेश के लाखों-लाख वह बच्चे, जो प्राथमिक में अंग्रेजी माध्यम से नहीं पढ़े, उनकी जिंदगी में एक नया सवेरा हो रहा है. जो प्रतिभाशाली होने के बाद भी केवल अंग्रेजी का ज्ञान न होने के कारण कुंठित होते थे, प्रतिभा को प्रकट नहीं कर पाते थे. हिन्दी में मेडिकल की पढ़ाई की सुविधा मिलने से न केवल हमारे हिन्दी भाषी बच्चों के उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा, अपितु हमारी मातृभाषा भी प्रतिष्ठित होगी. हिन्दी का सम्मान देश ही नहीं, विश्व में मान और गौरव बढ़ेगा.’
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने हिंदी को लेकर कहा कि बच्चे जन्म लेते ही अपनी मातृभाषा में सीखने लगते हैं और उनकी प्रतिभा का यह प्रकटीकरण अपनी मातृभाषा में ही हो सकता है और इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मातृभाषा में ही प्राथमिक एवं उच्च शिक्षा देने का संकल्प प्रकट किया है. आज मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि हमने मेडिकल की पढ़ाई भी हिन्दी में कराने के लिए पाठ्यपुस्तकें तैयार कर ली हैं. अब अंग्रेजी की बाध्यता एवं अनिवार्यता नहीं रही. यह मध्यप्रदेश के लिए गौरव का विषय है कि हिन्दी में मेडिकल एवं इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने वाला पहला राज्य बनेगा.
हिंदी में MBBS पाठ्यक्रम की तैयारी का सफर
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशानुरूप मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश में चिकित्सा पाठ्यक्रम को हिन्दी में तैयार करने का निर्णय लिया. इस निर्णय को अमल में लाने के लिये कार्ययोजना बना कर तीव्र गति से कार्य किया गया. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग के नेतृत्व में उच्च स्तरीय टास्क फोर्स समिति गठित की गई. साथ ही विषय निर्धारण एवं सत्यापन कार्य के लिए समितियों का गठन किया गया. हिन्दी में पाठ्यक्रम तैयार करने एवं उसके सत्यापन कार्य के लिए चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल में हिन्दी प्रकोष्ठ वार रूम “मंदार” तैयार किया गया. पाठ्यक्रम निर्माण में चिकित्सा छात्रों एवं अनुभवी चिकित्सकों के सुझाव शामिल किए गए. ईडीआई जारी कर एमबीबीएस के विषयों के ऑथर और पब्लिशर का चिन्हांकन किया गया.
वार रूम का नाम क्यों रखा गया ‘मंदार’
मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों के प्रोफेसर और हिन्दी के जानकारों ने एमबीबीएस प्रथम वर्ष की किताबों का ट्रांसलेटेड वर्जन तैयार किया है. इस पूरे प्रोजेक्ट को मंदार नाम दिया गया है. मंदार नाम रखने के पीछे ये विचार था कि जिस प्रकार समुद्र मंथन में मंदार पर्वत के सहारे अमृत निकाला गया था, उसी प्रकार से अंग्रेजी की किताबों का हिन्दी में अनुवाद किया गया है. मंदार में शामिल डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने विचार मंथन करके किताबें तैयार की हैं.