पहले नंगे पैर स्कूल जाते थे बच्चे, अब कॉन्वेंट स्कूल की तर्ज पर स्थापित परिषदीय स्कूल में जा रहे: सीएम योगी

2017 से पहले स्कूलों की स्थिति ठीक नहीं थी. भवन खराब थे, झाड़ियों के बीच में बच्चे आते थे. बच्चे और शिक्षक दोनों गायब दिखते थे.

उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को यूनीफॉर्म के लिए 1200 रुपए अभिभावकों के खाते में डीबीटी के माध्यम से भेजा. राजधानी लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने सर्वोच्च स्वच्छता वाले विद्यालय के प्रधानाध्यापकों और ग्राम प्रधानों को स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार से सम्मानित किया. इस दौरान सीएम योगी ने कहा कि इस बार हम 1200 रुपए दे रहे. हमने स्कूल चलो अभियान की शुरुआत श्रावस्ती से की. परिणाम अच्छे रहे. संख्या बढ़ी है.

सीएम योगी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना के कारण जनजीवन प्रभावित रहा है. सबसे अधिक शिक्षा प्रभावित रही. लॉकडाउन का सबसे बड़ा असर स्कूलों पर पड़ा. हमने ऑनलाइन क्लास/दूरदर्शन से शुरुआत की लेकिन हमारे प्रदेश में अभिभावकों के पास उतने संसाधन नहीं थे.

उन्होंने कहा कि इस वर्ष स्कूल चलो अभियान में संख्या बढ़कर 1.91 करोड़ हुई है. हम डीबीटी के माध्यम से समान दे रहे हैं. 2017 से पहले स्कूलों की स्थिति ठीक नहीं थी. भवन खराब थे, झाड़ियों के बीच में बच्चे आते थे. बच्चे और शिक्षक दोनों गायब दिखते थे. उस समय हमने एक अभियान चलाया था ऑपरेशन कायाकल्प. बेसिक शिक्षा में बच्चों की संख्या 1.34 की संख्या को 1.91 करोड़ तक पहुंचाया. पहले 60 फीसदी विद्यार्थियों को नंगे पैर स्कूल जाना पड़ता था पर अब वो बच्चे भी कॉन्वेंट स्कूल की तर्ज पर स्थापित परिषदीय स्कूल में जा रहे है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुत सारे गांव ऐसे हैं जहां के स्वंत्रता संग्राम सेनानी होंगे लेकिन लोग जानते नहीं होंगे. हमें उनके चित्र को स्कूल में लगवा कर मॉर्निंग असेंबली में बताइए. स्थानीय जरूरतों और चीजों को पढ़ाई में उद्धरण दीजिए, इससे बच्चे समाज के प्रति संवेदनशील होंगे.

उन्होंने कहा कि शिक्षकों पर बड़ी जिम्मेदारी है. बच्चों का माता-पिता के बाद सबसे अधिक संवाद शिक्षक से ही होता है. बच्चों की बेसिक शिक्षा की जिम्मेदारी के वाहक शिक्षक हैं. आज का समय तकनीक का समय है. तकनीक के साथ भावनात्मक जुड़ाव रखना होगा. तकनीक से परहेज नहीं करना है. तकनीक बच्चे के आगे बढ़ने का रास्ता प्रशस्त करेगी लेकिन संवेदना बच्चे को राष्ट्र से जुड़ने की प्रेरणा देगी.

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