G7 दुनिया के सात अमीर देशों का समूह है जिसमें फ्रांस, कनाडा, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं. 70 के दशक में कई देशों को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था. पहला- तेल संकट और दूसरा- फिक्स्ड करेंसी एक्सचेंज रेट्स के सिस्टम यानि ब्रेटन वुड्स का ब्रेक डाउन. जिसके बाद 1975 में G6 की पहली बैठक आयोजित की गई, जहां इन आर्थिक समस्याओं के संभावित समाधानों पर विचार किया गया. सदस्य देशों जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीति पर समझौता किया और वैश्विक आर्थिक मंदी से निपटने के लिए समाधान निकाले.
तत्पश्चात पहले “विश्व आर्थिक शिखर सम्मेलन” के बाद G7 अपने अस्तित्व में आया. 1975 में पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति वालेरी गिस्कार्ड डी स्टाइंग और तत्कालीन संघीय चांसलर हेल्मुट श्मिट द्वारा इसे शुरू किया गया था. उस दौरान जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका यानि G6 के राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के प्रमुखों के बीच फ्रांस में शैटॉ डी रैंबौइलेट में एक मुलाकात हुई थी.
इस मंच ने इन देशों को तेल संकट और निश्चित विनिमय दर प्रणाली यानि ब्रेटन वुड्स के पतन पर संभावित समाधानों पर विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर दिया. प्रतिभागियों ने इसमें अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक नीति का समन्वय किया और वैश्विक मंदी को दूर करने के लिए प्रारंभिक उपायों पर अपनी सहमति व्यक्त की. इस प्रकार यह समूह अस्तित्व में आया.
ज्ञात हो, सभी G7 देश और भारत G20 का हिस्सा हैं. गौरतलब हो G7 शिखर सम्मेलन का निमंत्रण भारत और जर्मनी के बीच मजबूत और घनिष्ठ साझेदारी और उच्च-स्तरीय राजनीतिक संपर्कों की परंपरा को ध्यान में रखते हुए है.