पीएम मोदी ने बुधवार को पांच देशों के संगठन ब्रिक्स (BRICS) की व्यापारिक फोरम को संबोधित करते हुए कहा कि ब्रिक्स की स्थापना इस विश्वास के साथ हुई थी कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं का यह समूह वैश्विक विकास के इंजन के रूप में विकसित हो सकता है.
अर्थव्यवस्था की बहाली में BRICS की प्रमुख भूमिका
केवल इतना ही नहीं पीएम मोदी ने आगे कहा कि ब्रिक्स (भारत-रूस-चीन- ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका) उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है तथा कोरोना महामारी के बाद विश्व अर्थव्यवस्था की बहाली में इसकी प्रमुख भूमिका है. दुनिया आज महामारी के बाद अर्थव्यवस्था की बहाली को लेकर चिंतित है. इस संदर्भ में ब्रिक्स देशों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है.
पीएम बताते हैं कि भारत में महामारी से उत्पन्न आर्थिक समस्याओं से निपटने के लिए हमने “सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन” के मंत्र को अपनाया है और इस दृष्टिकोण के परिणाम भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन से स्पष्ट हैं. इसके आगे उन्होंने यह भी कहा कि ‘नए भारत’ में हर क्षेत्र में कायाकल्प हो रहा है तथा 7.5 प्रतिशत की संभावित आर्थिक वृद्धि के साथ भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है.
1.5 ट्रिलियन डॉलर के निवेश के अवसर
पीएम मोदी ने ब्रिक्स देशों के व्यापारियों और उद्यमियों को भारत की विकास यात्रा के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि भारत में आधारभूत ढांचे के विकास के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने निवेशकों से आग्रह किया कि वे भारत के 1.5 ट्रिलियन डॉलर (15 खरब डॉलर) वाले राष्ट्रीय आधारभूत ढांचा विकास अभियान (नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन) में निवेश के अवसर का उपयोग करें.
प्रौद्योगिकी के जरिए अर्थव्यवस्था को पुन: गति देने का प्रयास
प्रधानमंत्री ने कहा कि नए भारत में प्रौद्योगिकी के जरिए अर्थव्यवस्था को पुन: गति देने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए हर क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहन मिल रहा है. उन्होंने इस संबंध में वर्ष 2025 तक भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था का मूल्य 10 खरब डॉलर तक पहुंचने का जिक्र किया. पीएम मोदी ने कहा कि भारत में जिस तरह का डिजिटल रूपांतरण हो रहा है वैसा दुनिया ने कभी नहीं देखा है. डिजिटल प्रौद्योगिकी के जरिए आम आदमी के सरोकार वाले कागज-पत्रों का डिजिटलीकरण हो रहा है तथा कागजों से आजादी मिल रही है.
सबसे अच्छा इकोसिस्टम भारत में
उन्होंने कहा कि भारत ने नीतियों और उसकी प्रक्रिया को पारदर्शी और स्थिर बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है. कोरोना महामारी के दौरान व्यापार में सहुलियत के लिए (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) के लिए अनेक कदम उठाए गए साथ ही व्यापार पर अनुपालन नियमों को कम किया गया.