भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का ऐलान के बाद से राष्ट्रपति चुनाव को लेकर काफी हलचल है. राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नामों का ऐलान हो चुका है. चुनाव आयोग के अनुसार मतदान 18 जुलाई को और परिणाम 21 जुलाई को घोषित किए जाएंगे. गौरतलब हो, देश के वर्तमान राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को पूरा होने जा रहा है, ऐसे में नए राष्ट्रपति के चयन के लिए चुनाव होना है.
कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव ?
राष्ट्रपति की चुनावी प्रक्रिया प्रधानमंत्री के चुनाव से बिलकुल अलग है. जहां प्रधानमंत्री लोकसभा के निर्वाचित सदस्यों की बहुलता की वजह से प्रधानमंत्री बनते हैं, जबकि पीएम पद का संसद सदस्य पहले जनता द्वारा सांसद चुना जाता है. वहीं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 54 के तहत राष्ट्रपति के चुनाव में देश के दोनों सदनों लोकसभा एवं राज्यसभा और सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के चुने हुए प्रतिनिधियों के मतदान से उन्हें यह प्रतिष्ठित पद प्राप्त होता है. इस चुनाव में केवल जनता द्वारा सीधे चुने गए विधायकों और सांसदों को ही वोट डालने का अधिकार मिलता है. दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य शामिल नहीं होते है.
कौन हो सकता है उम्मीदवार
राष्ट्रपति के चुनाव की उम्मीदवारी प्रक्रिया भी अन्य चुनावों की अपेक्षा अलग है. राष्ट्रपति के चुनाव की उम्मीदवार को नॉमिनेशन फाइल करने के लिए 50 प्रस्तावकों एवं 50 समर्थकों की हस्ताक्षरित सूची की आवश्यकता होती है. ये प्रस्तावक और समर्थक राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के निर्वाचक मंडल के सदस्यों में से कोई भी हो सकते हैं. 50 प्रस्तावकों और समर्थकों की आवश्यकता से संबंधित नियम इसलिए लागू किया गया ताकि वैसे उम्मीदवार ही चुनाव प्रक्रिया में शामिल हों, जिनमें जीतने की प्रबल संभावना हो. इस प्रस्ताव प्रक्रिया में निर्वाचक मण्डल का एक मतदाता एक से अधिक उम्मीदवारों के नॉमिनेशन का प्रस्ताव या समर्थन नहीं कर सकता है.
विधायकों के वोट मूल्य निकालने का तरीका
विधायक के वोट का मूल्य निकालने के लिए उस राज्य की कुल जनसंख्या में कुल विधायक का भाग दिया जाता है और उस संख्या में 1,000 का भाग दिया जाता है. इसके बाद जो संख्या आती है, वो उस राज्य के विधायक का वोट मूल्य होता है.
सांसदों के वोट मूल्य निकालने का तरीका
सांसद के वोट का मूल्य सभी राज्यों के विधायकों के वोटों के कुल मूल्य में संसद सदस्यों का भाग दिया जाता है. इसके बाद जो संख्या आएगी, वो सांसद के वोट का मूल्य होगा. यह मूल्य हर बार बदलता रहता है और यह वर्तमान संख्या के आधार पर तय होता है.
पहली पसंद वाले उम्मीदवार की होती है जीत
सांसदों और विधायकों के वोट मूल्य निकालने के बाद सभी सांसद और विधायक वोट देते हैं. इसके बाद विधायक और सांसद की संख्या के स्थान पर उनके वोट मूल्य गिने जाते हैं. इन वोट मूल्य में सबसे पहली पसंद (पहले कोटा) पाने वाले उम्मीदवार को ही विजयी घोषित किया जाता है.
राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिये उम्मीदवार को डाले गए कुल मतों का 50% + 1 प्राप्त करना होता है. राष्ट्रपति के चुनाव में क्षेत्रीय दल महत्वपूर्ण कुंजी हैं. इनमें तृणमूल कांग्रेस,आम आदमी पार्टी (AAP), तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS), वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) और बीजू जनता दल (BJD) प्रमुख हैं. इलेक्टोरल कॉलेज में YSRCP की 4 फीसदी और बीजद की करीब 3 फीसदी हिस्सेदारी है. एनडीए 50 प्रतिशत वोट शेयर से कम से कम 1.2 प्रतिशत अंक दूर है, जो उसके उम्मीदवार को राष्ट्रपति पद जीतने के लिए आवश्यक है.
5 साल का होता है राष्ट्रपति का कार्यकाल
जो भी व्यक्ति इस पद पर आसीन होता है, वह 5 साल के लिए स्थाई होता है. इस बीच भले सत्ता परिवर्तन हो लेकिन राष्ट्रपति नहीं बदलते हैं. देश के प्रथम नागरिक होने के नाते राष्ट्रपति के पास कई विशेषाधिकार होते हैं जैसे क्षमा याचिका स्वीकार करना, तीनों सेनाओं का सर्वोच्च कमांडर होना, इसके अलावा उनके कार्यकाल के दौरान उन पर किसी भी तरह का आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकता, जैसे अन्य विशेषाधिकार राष्ट्रपति के पास होते हैं.