भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 8 साल भारत के बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने, औद्योगीकरण की गति बढ़ाने और सभी क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने के प्रयास में रेल, जलमार्ग, सड़कों और हवाई यातायात के बुनियादी ढांचे पर भारत के बड़े पैमाने पर जोर का पर्याय बन गए हैं. पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कई बुनियादी ढांचा परियोजनाएं पूरी की हैं जिन्हें अब तक अत्यधिक देरी और अन्य बाधाओं के कारण असंभव समझा जाता था. आइए जानते हैं इन योजनाओं के बारे में.
पीएम गति शक्ति
केंद्र सरकार ने 100 लाख करोड़ रुपए के ”पीएम गति शक्ति” प्लान को बुनियादी ढांचे के इष्टतम उपयोग के माध्यम से अपनी पूरी क्षमता को साकार करने और भारत के उद्देश्यों को साकार करने के लिए लॉन्च किया. यह राष्ट्रीय मास्टर प्लान अब ये सुनिश्चित करेगा कि भारत के भविष्य के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया जाए जो कि योजना से लेकर निष्पादन तक उन्हें तय समय में पूरा करने में मदद करेगा.
सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना (उत्तर प्रदेश)
इस परियोजना में क्षेत्र के जल संसाधनों को अधिकतम करने के लिए पांच नदियों – घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिणी को आपस में जोड़ना शामिल है. इसके अंतर्गत 6,600 किलोमीटर की उप नहरों को 318 किलोमीटर की मुख्य नहर से जोड़ा गया है, जैसा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने वादा किया था.
बताना चाहेंगे कि सिंचाई के लिए सरयू नहर परियोजना पहली बार 1978 में शुरू की गई थी, लेकिन निरंतरता और पारदर्शिता दोनों की कमी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया और अंततः लगभग चार दशकों के लिए अलग-थलग छोड़ दिया गया, जबकि इस योजना का महत्व अत्यधिक है. गौरतलब हो, इस परियोजना के पूरा होने से 14 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि सिंचित हो सकेगी, जिससे 29 लाख से अधिक किसानों को मदद मिलेगी.
कोसी रेल महासेतु (बिहार)
पीएम मोदी ने 18 सितंबर, 2020 को कोसी रेल महासेतु का अनावरण किया. कोसी महासेतु परियोजना के लिए ट्रेन लाइन को 2003-2004 में तत्कालीन सरकार के तहत मंजूरी दी गई थी, लेकिन फिर यह एक दशक तक अधर में लटकी रही, जब तक कि इसे अंततः पीएम मोदी सरकार के तहत नहीं बनाया गया. इसे बनाने में 516 करोड़ रुपए की लागत लगी.
कोल्लम बाईपास परियोजना (केरल)
पीएम मोदी ने NH-66 पर 13 किलोमीटर के टू-लेन कोल्लम बाईपास का उद्घाटन किया, जिससे केरल के बुनियादी ढांचे को काफी बढ़ावा मिला। कोल्लम बाईपास को 352 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है. राजमार्ग को पहली बार 1975 में मंजूरी मिली थी लेकिन केंद्र में पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने से पहले तक लगभग आधी सदी इसे पूरा नहीं किया जा सका.
बोगीबील रेल-सह-सड़क पुल (असम)
बोगीबील पुल दो मौजूदा राष्ट्रीय राजमार्गों- दक्षिण तट पर NH-37 और उत्तरी तट पर NH-52 को आपस में जोड़ता है. यह ब्रह्मपुत्र नदी में ट्रेन कनेक्टिविटी प्रदान करने के अलावा 5 किलोमीटर से अधिक की दूरी को कवर करता है. 1997 में इसका निर्माण कार्य शुरू होने के बाद इसे पूरा होने में दो दशक से अधिक का समय लगा.
अटल सुरंग (हिमाचल प्रदेश)
9.02 किलोमीटर की यह सुरंग समुद्र तल से 10,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है. इस सुरंग के बनने से पहले दोनों जगहों के बीच यात्रा करने में करीब चार घंटे का समय लगता था. वहीं अटल सुरंग लद्दाख तक पूरे साल पहुंच आवाजाही का मार्ग प्रदान करने की दिशा में बड़ा कदम है. लद्दाख के निवासी, जो पहले स्वास्थ्य और खाद्य आपूर्ति जैसी बुनियादी सेवाओं के लिए संघर्ष करते थे, अब नई अटल सुरंग की बदौलत देश के बाकी हिस्सों के साथ जोड़ती है जहां उनकी ये जरूरत आसानी से पूरी हो सकती है.