यह बात है साल 1981 की। गेंद और बल्ले से खेले जाने वाला खेल क्रिकेट भारत में अपनी धाक जमा चुका था। इंडियन क्रिकेट टीम अब विदेशों में जाकर शानदार प्रदर्शन करने लगी थी। बेहतरीन क्रिकेट के साथ टीम इंडिया का नाम अब छोटे मोटे विवादों में भी आने लगा। साल 1981 में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया दौरे पर थी। इस दौरे पर एक ऐसी घटना हुई जिससे पूरी टीम मैनेजमेंट में खलबली मच गई। इस दौरे पर वह दोनों दिग्गज खेल रहे थे जिनके नाम पर आज बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी खेली जाती है।
ऑस्ट्रेलिया में खेली जा रही तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में पहला मैच ऑस्ट्रेलिया ने पारी से जीता। दूसरा मैच ड्रॉ हुआ। अब तीसरा टेस्ट मैच जोकि मेलबर्न में खेला जाना था। टीम इंडिया की सबसे बड़ी उम्मीद सुनील गावस्कर का बल्ला शांत था। दो मैचों की चार पारियों में गावस्कर 25 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाए थे। तीसरे मैच में भी गावस्कर कुछ खास न कर सके और पहली पारी में महज 10 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। इस सीरीज में गावस्कर की बल्लेबाजी के साथ अंपायरिंग का लेवल भी बेहद ही खराब था. खेले जा रहे तीसरे टेस्ट मैच में गुंडप्पा विश्वनाथ की सेंचरी के बावजूद टीम इंडिया पहली पारी में 182 रनों से पिछड़ गई।
दूसरी पारी खेलने उतरी टीम इंडिया को पता था कि अगर मैच गवाया तो सीरीज भी गवाई। जिसके चलते दूसरी पारी में गावस्कर और चेतन चौहान की ओपनिंग जोड़ी ने संभलकर खेलना शुरू किया। और दोनों ने मिलकर पहले विकेट के लिए 150 रन जोड़ ड़ाले। टीम इंडिया एक मजबूत स्थिति में पहुंच ही रही थी की तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे खिलाड़ियों से लेकर वहां मौजूद टीम मैनेजमेंट तक में खलबली मच गई। दरअसल, 164 के स्कोर पर आस्ट्रेलियाई गेंदबाज डेनिस लिली की एक गेंद गावस्कर के पैड पर लगी। लिली ने जोरदार अपील की। अंपायर रेक्स व्हाइटहेड ने गावस्कर को आउट दे दिया। जिस पर गावस्कर भड़क गए। उन्होंने बैट को अपने पैड पर मारा और बार-बार एक बात दोहराने लगे- (एज लगा है, एज लगा है)।
एंपायर के आउट देने के बाद भी गावस्कर क्रिज पर टिके रहे। यह देख आस्ट्रेलियाई गेंदबाज लिली गावस्कर की ओर बड़े और कुछ कमेंट्स किए। जिससे गावस्कर का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। पहले तो वह पवेलियन की तरफ बढ़े लेकिन आस्ट्रेलियाई गेंदबाज की हरकत को देखकर वे बीच रास्ते से वापस आए। साथी ओपनर चेतन चौहान से कहा- कि मेरे साथ वापस चलो। चेतन चौहान को कुछ समझ नहीं आया, वह चुपचाप गावस्कर के साथ पवेलियन की तरफ चल पड़े। इस घटना पर चेतन चौहान कहते हैं, ”गावस्कर के कहने पर मैं पवेलियन वापस आने में हिचक रहा था. गलत फैसले तो खेल का हिस्सा हैं।”
इधर दोनों बल्लेबाजों को पवेलियन की तरफ आता देख टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम में अफरातफरी का माहौल बन गया। विकेटकीपर सैयद किरमानी चिल्लाते हुए टीम के मैनेजर शाहिद दुर्रानी के पास पहुंचे और उन्हें धक्का देते हुए बोले- साहब साहब आप जाइए और दोनों को रोकिए। इसके बाद दुर्रानी और असिस्टेंट मैनेजर बापू नादकर्णी भागते हुए गए चेतन को बाउंड्री के अंदर ही रोक लिया। दोनों ने चेतन को समझाया और बल्लेबाजी के लिए वापस भेजा। काफी गर्मागर्मी के बाद भारत की बल्लेबाजी 324 पर सिमट गई। ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए अब 143 का लक्ष्य मिला।
टीम इंडिया अब जीत के लिए गेंदबाजों की तरफ देख रही थी। लेकिन टीम इंडिया के तेज गेंदबाज कपिल देव चोट के चलते मैदान से बाहर थे। इसके बावजूद भारतीय गेंदबाजों ने अच्छी गेंदबाजी करते हुए चौथे दिन का खेल समाप्त होने तक 24 रन देकर ऑस्ट्रेलिया के तीन अहम विकट झटक लिए थे। अब आया मैच का अंतिम और पांचवा दिन। टीम इंडिया के लिए नई सुबह एक अच्छी खबर लेकर आई। चोट के चलते मैच से बाहर कपिल अब पहले से बेहतर फील कर रहे थे और उन्होंने कहा कि मैं आज खेलूंगा। टीम इंडिया में अब एक अलग ऊर्जा दिख रही थी। कपिल ने फिरकी गेंदबाजों के साथ मिलकर कमाल करना शुरू किया। कपिल ने इस पारी में 28 रन देकर 5 विकेट झटके और आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों की कमर तोड़ दी। और ऑस्ट्रेलिया को 83 रनों पर समेट दिया। टीम इंडिया ने इस टेस्ट में जीत के साथ सीरीज में अब 1-1 से बराबरी कर ली थी।