‘यूपी-बि​हार के भइयों’ से प्रियंका गाँधी ने माँगी माफी, कॉन्ग्रेस ऑफिस में लगवाया बोर्ड – ‘एक बिहारी, 100 पर भारी’

प्रियंका गाँधी देश की बहुत बड़ी नेता हैं। ये जब बोलती हैं, हवा बदल जाती है। चलती हैं तो धूल उड़ते हैं। भाग्य है बिहार का, जो इतनी महान हस्ती यहाँ पधारीं। वरना ये अंतरराष्ट्रीय/राष्ट्रीय स्तर से नीचे के मसलों पर कम ही बोलती-दिखाई देती हैं।

प्रियंका गाँधी के कद का अंदाजा लगाना है तो ऐसे आँकिए – खुद कभी सांसद-विधायक का चुनाव तक नहीं लड़ीं… लेकिन कम ही सही, कई कॉन्ग्रेसी विधायक-सांसद-सीएम इनके आगे-पीछे घूमते पाए जाते हैं। इनके सामने सबकी घिग्घी बँधी रहती है।

बहुत भूमिका हो गई। अब डायरेक्ट चलते हैं एक्शन पर। एक्शन से समझिए प्रियंका गाँधी की शख्सियत को। बिहारियों के लिए क्या किया, यह भी समझने की जरूरत है।

प्रियंका गाँधी, गाँधी मैदान और माफी

पटना का गाँधी मैदान। लाखों की भीड़। सब प्रियंका गाँधी को सुनने धूप में खड़े। मंच पर आते ही जब हाथ उठाया तो लगा जैसे सलाम कर रही हैं। लोगों ने भी हाथ हिला कर बता दिया कि वो उन्हें देख चुके। इसके बाद प्रियंका ने सबसे पहला वाक्य कहा – “मुझे माफ कर दीजिए बिहारी भइए।” फिर अपनी माँ सोनिया गाँधी की तरह रोने लगीं। सन्नाटा छा गया

बिहारी बड़े आत्मीय होते हैं। उन्हें बड़ा दुख हुआ। उनके नाम पर इतने बड़े नेता को रोना पड़ा। तभी प्रियंका ने शीला दीक्षित से लेकर राहुल गाँधी और दूसरे पार्टी के अरविंद केजरीवाल-ममता बनर्जी तक के नाम पर माफी माँग कर दूसरी बार सबको चौंका दिया। दिल पर पंजा रख कर यह भी बताया कि पंजाब में जब बिहारियों का मजाक उड़ाया जा रहा था, उस वक्त वो दिल से रो रही थीं… बस चेहरे पर हँसी थी क्योंकि बहुत सारे कैमरा थे वहाँ।

बिहार का पब्लिक अब तक पागल हो चुका था। दबंग नेताओं की दबंगई सहने, चोर-भ्रष्टाचारियों की लूट-खसोट सुनने-देखने वाली जनता के पल्ले ये नहीं पड़ रहा था। शक्तिशाली मगध साम्राज्य, भगवान बुद्ध, राजा जनक और सीतामैया से जुड़ी धरती के लोग ऐसे रोने-घिघियाने वाले नेता से कनेक्ट नहीं कर पा रहे थे। भाषण खत्म होते-होते गाँधी मैदान खाली हो चुका था।

बिहारी एक प्रजाति

“गंगा मैया, सम्राट अशोक, लिची-मालदह आम, बोधगया, बिजली-सड़क-पानी… ई सब पर कुछ नै बोली। एकदम बुड़बक है। माफी माँगने लगी। ऊ भी बिहारी के नाम पर। ‘अबे चल ना बिहारी… ओए सा# बिहारी’… ई सब तो हम लोग हर दिन सुनते हैं। इस पर काहे के लिए माफी माँगी?” – रोहनवा ने अपनी बात रखी।

मंगरुआ ने दार्शनिक अंदाज में जवाब दिया – “दिल जीतना चाह रही थी। उसको का पता है कि हम असली गाँधी के चंपारण वाली धरती से हैं। चारा चोर-भ्रष्टाचारी ललुआ तक को हम माफ कर देते हैं। उसकी पार्टी और बेटा ऐसे थोड़े ना सबसे बड़का दल बन गया है बिहार में। नेता में हनक होना चाहिए, डरपोक नेता से हुआ है कुछ आज तक!”

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